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Sheetal Devi: भारत की सबसे युवा पैरा तीरंदाज की प्रेरणादायक यात्रा

 Sheetal Devi

 

Sheetal Devi: खेल जगत में अक्सर ऐसे एथलीटों का जश्न मनाया जाता है जो महानता हासिल करने के लिए अविश्वसनीय बाधाओं को पार करते हैं। दृढ़ संकल्प और जीत की इन कहानियों में, किशोर भारतीय पैरा-तीरंदाज शीतल देवी की यात्रा विशेष रूप से प्रेरणादायक है। एक दुर्लभ जन्मजात स्थिति के कारण पूरी तरह से विकसित हाथों के बिना पैदा हुई शीतल ने पैरा तीरंदाजी की दुनिया में प्रमुखता हासिल की है, बाधाओं को तोड़ते हुए और रास्ते में रिकॉर्ड बनाते हुए।

 

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प्रारंभिक जीवन और चुनौतियाँ

 

शीतल देवी का जन्म 10 जनवरी, 2007 को जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ के सुदूर लोइधर गाँव में हुआ था। जन्म से ही, उन्हें फ़ोकोमेलिया की चुनौती का सामना करना पड़ा, एक दुर्लभ विकार जिसके परिणामस्वरूप अविकसित अंग थे। इन शारीरिक सीमाओं के बावजूद, शीतल ने कम उम्र से ही एक प्राकृतिक एथलेटिक क्षमता और एक मजबूत भावना का प्रदर्शन किया। उन्होंने अपना बचपन पेड़ों पर चढ़ने में बिताया, जिससे उन्हें एक मजबूत ऊपरी शरीर और कभी हार न मानने वाला रवैया विकसित करने में मदद मिली।

 

तीरंदाजी की खोज

 

शीतल की तीरंदाजी की यात्रा 2021 में तब शुरू हुई जब भारतीय सेना ने किश्तवाड़ में एक युवा कार्यक्रम आयोजित किया। यहीं पर सेना के कोचों ने उनकी एथलेटिक क्षमता को पहचाना। शुरुआत में, उन्होंने तीरंदाजी में सहायता के लिए उन्हें कृत्रिम अंग लगाने की कोशिश की, लेकिन यह तरीका कारगर नहीं रहा। मैट स्टुट्ज़मैन से प्रेरित होकर, एक हाथहीन तीरंदाज जिसने अपने पैरों का इस्तेमाल करके लंदन 2012 पैरालिंपिक में रजत पदक जीता था, शीतल ने इस अपरंपरागत तकनीक को सीखने का फैसला किया।

 

वह पूर्व तीरंदाज और कोच कुलदीप वेदवान की अकादमी में शामिल हुईं, जहाँ उन्होंने अपने कौशल को निखारा। राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सक्षम एथलीटों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने के बावजूद, शीतल की प्रतिभा और अनूठी तकनीक ने उन्हें जल्दी ही दूसरों से अलग कर दिया।

 

प्रमुखता की ओर तेज़ी से बढ़ना

 

अपने पहले सीज़न में, शीतल देवी का पैरा तीरंदाजी की दुनिया में उदय किसी उल्लेखनीय उपलब्धि से कम नहीं था। 2022 में, उन्होंने हरियाणा में पैरा तीरंदाजी राष्ट्रीय चैम्पियनशिप और बाद में गोवा में जूनियर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में भाग लिया। हालाँकि उन्होंने जूनियर नेशनल में कोई पदक नहीं जीता, लेकिन उनका प्रदर्शन उनकी क्षमता और दृढ़ संकल्प का प्रमाण था।

 

सफलता 2023 में मिली, जब शीतल ने चेक गणराज्य में आयोजित विश्व तीरंदाजी पैरा चैंपियनशिप में भाग लिया। उन्होंने ओपन महिला कंपाउंड तीरंदाजी स्पर्धा में रजत पदक जीता, जिससे वह पैरा विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली बिना हाथ वाली महिला तीरंदाज बन गईं। इस उपलब्धि ने न केवल सुर्खियाँ बटोरीं, बल्कि पेरिस 2024 पैरालंपिक खेलों में भारत के लिए कोटा भी हासिल किया।

 

उपलब्धियाँ और प्रशंसाएँ

 

शीतल की सफलता एशियाई पैरा गेम्स 2023 में जारी रही, जहाँ उन्होंने व्यक्तिगत कंपाउंड और मिश्रित टीम स्पर्धाओं में दो स्वर्ण पदक और महिला युगल में एक रजत पदक जीता। उनके असाधारण प्रदर्शन ने उन्हें 2023 में पैरा कंपाउंड तीरंदाजों के लिए दुनिया में नंबर 1 रैंकिंग दिलाई।

 

उनकी उपलब्धियों के सम्मान में, शीतल को एशियाई पैरालंपिक समिति द्वारा वर्ष की सर्वश्रेष्ठ युवा एथलीट से सम्मानित किया गया और विश्व तीरंदाजी द्वारा वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला पैरा तीरंदाज नामित किया गया। पैरा तीरंदाजी में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत के दूसरे सबसे बड़े खेल सम्मान, प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

 

प्रशिक्षण और समर्थन

 

शीतल की सफलता के पीछे उनके कोच कुलदीप वेदवान और ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट (OGQ) जैसे संगठनों का अटूट समर्थन है। OGQ ने उन्हें पोषण, व्यक्तिगत कोचिंग, फिजियोथेरेपी और उच्च गुणवत्ता वाले तीरंदाजी उपकरण सहित आवश्यक सहायता प्रदान की। इस समर्थन ने खेल में उनके तेजी से विकास और सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 

जम्मू और कश्मीर की एक साथी कंपाउंड तीरंदाज रोमिका शर्मा भी शीतल की यात्रा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। रोमिका शीतल को उसकी दैनिक गतिविधियों, अभ्यास सत्रों और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के दौरान रसद में सहायता करती है, व्यावहारिक मदद और भावनात्मक समर्थन दोनों प्रदान करती है।

 


आगे की ओर देखना

 

पेरिस 2024 पैरालिंपिक खेलों पर अपनी नज़रें टिकाए हुए, शीतल देवी कड़ी मेहनत कर रही हैं, उनका लक्ष्य पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की सबसे कम उम्र की महिला बनना है। उनकी यात्रा उनके लचीलेपन, दृढ़ संकल्प और किसी भी चुनौती को पार करने की मानवीय भावना की शक्ति का प्रमाण है।

 

उपलब्धियां सारांश तालिका

इवेंट

पदक

श्रेणी

वर्ष

विश्व तीरंदाजी पैरा चैंपियनशिप

रजत

महिला व्यक्तिगत कंपाउंड ओपन तीरंदाजी

2023

एशियाई पैरा खेल

स्वर्ण

महिला व्यक्तिगत कंपाउंड ओपन तीरंदाजी

2023

 

एशियाई पैरा खेल

स्वर्ण

मिश्रित युगल कंपाउंड ओपन तीरंदाजी

2023

एशियाई पैरा खेल

रजत

महिला युगल कम्पाउंड ओपन तीरंदाजी

2023

खेलो इंडिया पैरा गेम्स

स्वर्ण

महिला व्यक्तिगत कम्पाउंड ओपन तीरंदाजी

2023

खेलो इंडिया एनटीपीसी राष्ट्रीय रैंकिंग तीरंदाजी मीट

रजत

महिला व्यक्तिगत कंपाउंड ओपन तीरंदाजी

2024

 

चेकिया में पैरा तीरंदाजी रैंकिंग सीरीज

स्वर्ण

महिला कंपाउंड टीम इवेंट

2024

 

निष्कर्ष

 

शीतल देवी की कहानी सिर्फ़ तीरंदाजी में उनकी उपलब्धियों के बारे में नहीं है, बल्कि अदम्य मानवीय भावना के बारे में भी है। जम्मू और कश्मीर के एक छोटे से गाँव से विश्व स्तरीय तीरंदाज बनने तक का उनका सफ़र दृढ़ता और लचीलेपन की एक प्रेरक कहानी है। पेरिस 2024 पैरालिंपिक की तैयारी करते हुए, शीतल देवी दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रेरित करना जारी रखती हैं, यह साबित करते हुए कि दृढ़ संकल्प और साहस के सामने कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।

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